विदेश नीति के अभाव में दम घोटते भारतीय राष्ट्रवादी |
जो सत्ता स्वयं को राष्ट्रीय दल कहती हैं वह विदेश में अपने नागरिको की रक्षा करने में असमर्थ हैं चाहे ऑस्ट्रेलिया की जेल में बंद विशाल जूड की बात हो या फिर पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव की | जो राष्ट्रीय दल भारत में अपनी विदेश नीति का पूरे विश्व में डंका बजने की बात करता हो उसकी विदेश नीति विशाल जूड और कुलभूषण जाधव के मामलो में विफल क्यों हो जाती हैं ? क्या ये सब ढकोसला नहीं हैं ? ये भारत को विश्वगुरु बनाना चाहते हैं लेकिन ये शायद भूल गए जिसके पास वास्तविक बल हैं केवल वही विश्वगुरु बन सकता हैं | आपके सरकार के मंत्री तो ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, और यूट्यूब जैसी विदेशी कंपनियों से नहीं जीत पा रहे | और बड़ी बड़ी डींगे हाकते फिरते हैं | कुलभूषण जाधव के मामले में आपने उसे पाकिस्तान की जेल में सड़ने और मरने के लिए छोड़ दिया | अब विशाल जूड के मामले में भी आपका यही रवैया हैं |
पिछेल हफ्ते ये खबर आयी थी की हरयाणा के मुख्यमंत्री और कुछ सांसदों द्वारा आग्रह करने पर विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने यह आस्वाशन दिया था कि जल्द ही विशाल जूड को भारत वापस लाया जायेगा लेकिन अभी तक न तो विशाल जूड की ऑस्ट्रेलिया की जेल से रिहाई हुई हैं और न ही सर्कार की तरफ से कोई कार्यवाही की गयी हैं | और जिस तरह से मंत्रालयों में फेरबदल हुई हैं उससे उम्मीद कुछ काम ही नज़र आती हैं | खालिस्तानियों की एक नयी जमात विदेशो में देखने को मिल रही हैं जो भारत को तोड़ना चाहते हैं | जब कोई राष्ट्रवादी इनको मुहतोड़ जबाब दे तो विक्टिम कार्ड खेलकर राष्ट्रवादियों को अपराधी घोषित करने में लग जाते हैं | और हमारी सरकार आराम से सो रही हैं | जब तक उसे ट्रेंड या विरोध के जरिये कुछ बताया न जाये तब तक उसे पता नहीं चलता ये तो हालत हैं सिक्योरिटी एजेंसीज की | सरकार क्या चाहती है अब |
बंगाल के चुनाव के बाद जो हिंसा हुई और उस पर जो चुप्पी साधी गयी केंद्र की तरफ से वह राष्ट्रवादियों के मन में एक संदेह पैदा कर चुकी हैं | आलम तो यह हैं की राष्ट्रवादी कह रहे हम 2024 में योगी को प्रधनमंत्री बनाना चाहेंगे नाकि मोदी को जिसने बंगाल की हिंसा पर एक ट्वीट नहीं किया | अगर आज के सन्दर्भ में बात करे तो यदि योगी को राजनीती से बहार करदे तो भाजपा की आधी ताकत समाप्त हो जाएगी | जिस तरह से अलग अलग पहलुओं पर इस सरकार ने निर्णय लिए हैं वे बिलकुल भी न्यायसंगत नहीं हैं | बंगाल हिंसा पर चुप्पी, खालिस्तान आंदोलन पर चुप्पी, सहीं बाघ पर चुप्पी, दिल्ली हिंसा पर चुप्पी, लव जिहाद पर चुप्पी, जबरन धर्मांतरण पर चुप्पी, विदेशो में राष्ट्रवादियों पर हो रहे हमलो पर चुप्पी | आखिर ये चुप्पी भारत राष्ट्र को कमज़ोर कर रही हैं | कोई विदेश मंत्री कैसे चेन से बैठ सकता हैं यह जानते हुए भी उसके देश का नागरिक षडयंत्रो के तहत विदेशी जेल में बंद हैं |
एक वो समय था जब अभिनन्दन वर्धमान को एक दिन के अंदर ही पाकिस्तान से भारत वापस लाया गया था उसे कहते हैं विदेश नीति लेकिन ये कैसी विदेश नीति की आपके देश का नागरिक दूसरे देश की जेल में कैदी की सजा काट रहा हैं, खालिस्तानी खुले घूम रहे हैं और आप विदेश मंत्री होते हुए भी हाथ पे हाथ धरकर बैठे हुए हैं | सुब्रमण्यम स्वामी सही कहते हैं की आप भारत देश की पौषक तक नहीं पहनते किसी वेटर के कपड़ो को पहनकर विदेश नीति का स्तर भी वेटर जितना ही रह गया हैं | भाजपा ने केवल 1 साल सही से काम किया हैं उसके बाद तो उसने निंदा, कड़ी निंदा, घोर निंदा की हैं | और फिर ये उम्मीद करते हैं की राष्ट्रवादी इनको खुलके वोट दे क्यों भाई खैरात हैं | उम्मीद हैं प्रधानमंत्री इस पर संज्ञान जरूर लेंगे और नहीं लेते हैं तो याद रखे राष्ट्रवादी देख रहे हैं आपके हर एक कदम को | नाकामी के सिवा राष्ट्रवादियों को भाजपा ने पिछले 1.5 साल से कुछ नहीं दिया |
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