भोपाल में करणी सेना का संखनाद - जातिगत आरक्षण बंद करो


आरक्षण के विरोध में करणी सेना की मध्य प्रदेश सरकार को चुनौती 

भोपाल के जम्बूरी मैदान में करणी सेना के द्वारा भव्य आंदोलन चलाया गया जो कि 8 जनवरी से होकर 11 जनवरी तक चला। इस न्यायोचित आंदोलन में 2 से 3 लाख लोगो ने हिस्सा लिया जो कि सभी वर्णो को दर्शा रहे थे। उदहारण के तौर पर इस आंदोलन में सवर्ण समाज, OBC समाज, SC समाज और ST समाज, सभी समाज के लोग उपस्थित थे। मैदान पूरी तरह से भर चुका था। यह आंदोलन आमरण अनशन कि ध्वनि के साथ गरजा। इस आंदोलन को लोगो का भरपूर सहयोग मिला फिर चाहे वो जम्बूरी मैदान हो या फिर सोशल मीडिया प्लेटफार्म हो।




इस आंदोलन में 21 मांगे रखी गई थी जिसमें से कुछ मांगों को मध्य प्रदेश प्रशासन द्वारा मान लेने की बात कही गई हैं लेकिन जो प्रमुख मांगे थी उनपर राज्य सरकार का कहना था कि ये प्रमुख मांगों को पूरा करना मध्य प्रदेश सरकार के कार्य क्षेत्र मे नही आता और इन प्रमुख माँगों को केवल केंद्र सरकारी ही पूरा कर सकती हैं | 21 मांगों की सूची कुछ इस  प्रकार हैं | 



संख्या 1 से लेकर संख्या 4 तक की मांगों को करणी सेना के प्रतिनिधियों द्वारा प्रमुख बताया गया हैं | इस आंदोलन में जिन करणी सेना के प्रतिनिधियों ने आंदोलन में अग्रणी होने की भूमिका निभायी हैं वो हैं जीवन सिंह शेरपुर, महिपाल सिंह मकराना, रवीन्द्र सिंह भाटी, शैलेन्द्र सिंह झाला, भँवर सिंह स्लादिया, मानवेंद्र सिंह सेंगर | और भी कई महत्वपूर्ण नाम हैं जिनके नाम हमें ज्ञात नहीं हैं | यदि आंदोलन की बात की जाए तो एक अच्छा स्वच्छ आंदोलन था जिसको जनता का समर्थन भी था और प्रतिनिधि अपनी मांगों को लेकर स्पष्ट भी थे | राज्य सरकार द्वारा दो महीने में मांग को पूरा करने का आश्वासन दिया गया हैं और प्रतिनिधियों द्वारा यह भी कहा गया हैं यदि दो महीने के अन्तराल में यदि मांगों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती तो मध्य प्रदेश राज्य सरकार एक बड़े और आर पार वाले आंदोलन के लिए तैयार रहें |




हालांकि पूरी तरह से सवर्ण समाज इस आंदोलन से नहीं जुड़ पा रहा हैं क्यूंकि वह करनी सेना की मांगों में स्पष्टता की और पूर्ण विचारों की कमी को देखता हैं | सवर्ण समाज करनी सेना के विचारो से थोड़ा परे सोचता हैं | सवर्ण समाज का मानना हैं कि आरक्षण को पूरी तरह से समाप्त किया जाना चाहिए और इस आरक्षण को आर्थिक आधार पर करना मूर्खता हैं, वह सोचता हैं कि यदि आरक्षण को समाप्त करना हैं तो उसे पूरी तरह समाप्त करना चाहिए | हमारे देश की जनसंख्या लगभग 150 करोड़ होगी, भारत का कोई National Population Register यानी NPR नहीं हैं जिसके कारण 150 करोड़ लोगों की आर्थिक स्थिति पता करना असंभव हैं और समस्या ये हैं कि भारत में formal सेक्टर में काम करने वालों की संख्या बहुत कम हैं और informal सेक्टर में काम करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा जिसकी वजह से किसी की income का ठीक ठीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता और आर्थिक आरक्षण की चाहत में कोई भी अपनी सही income नहीं बतायेगा जिसकी वजह से आर्थिक आरक्षण सवर्ण समाज पर एक बोझ बनकर रह जाएगा और इसलिए हमारी मांग इस आरक्षण को पूरी तरह से समाप्त करने की होनी चाहिए तभी सवर्ण समाज इस तरह के आंदोलन से पूरी तरह अपने आप को जुड़ा हुआ मेहसूस कर पाएगा | दूसरा तर्क यह हैं कि आरक्षण अपने आप मे अन्याय हैं, गरीब व्यक्ती को पढ़ाना सरकार की जिम्मेदारी हैं उसे मुफ्त शिक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी हैं मगर अपनी जिम्मेदारियों से भागकर सरकारे सवर्णों के अधिकारों को आरक्षण के नाम पर उनसे छीन रही हैं फिर चाहे वो जातिगत आरक्षण हो या फिर आर्थिक आरक्षण | सवर्ण समाज की एक ही आवाज बंद करो ये आरक्षण फिर चाहे वो जातिगत हो या आर्थिक | इस मंत्र को लेकर यदि करणी सेना कार्य करेगी तो उसकी जीत और समर्थन दस गुना होगा | गरीबो की जिम्मेदारी सरकार की हैं सवर्ण समाज की नहीं


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