आरक्षण महाराष्ट्र में एक प्रज्वलन्तशील मुद्दा बनकर उभरा हैं पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा मराठा आरक्षण की मांग को लेकर और अब पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा OBC आरक्षण को बढ़ाने की मांग को लेकर | इस मुद्दे पर कोई भी टिप्पड़ी करने से पहले महाराष्ट्र में आरक्षण के वास्तविक आकड़ो का अध्ययन कर लेते हैं |
ऊपर दिए गए चित्र मे 52% कोटे का विवरण हैं बाकी EWS का 10% कोटा मिलाने के बाद ये आकड़ा 62% पहुँचता हैं | इसके बाद न तो मराठा आरक्षण के लिए कोई जगह बचती हैं और न ही OBC कोटे को बढ़ाने की जो कि पहले से ही 19% हैं | राज्य महाराष्ट्र, जहा 62% कोटा पहले ही दिया जा चुका हैं वहा ये नेता मराठा और OBC आरक्षण के नाम पर क्या करना चाहते हैं ये जनता को पता होना चाहिए | जनता को असली मुद्दे से भटकाकर आरक्षण के नाम पर राजनीति करना इन नेताओं के डीएनए में हैं | कब कहा कैसे जनता को अपने वश में करना हैं ये बखूबी जानते हैं |
ये महाराष्ट्र की जनता को तय करना होगा कि उसे क्या चाहिए वरना ये नेता आरक्षण के नाम पर पूरे हिन्दू समाज को बांटकर नष्ट कर देंगे | भले ही आरक्षण से हजारो लोगों को फायदा हुआ हो लेकिन लाखो लोगों का नुकसान भी इसने ही किया हैं |
राष्ट्रवादियों को समझना होगा ये आरक्षण धीरे धीरे हिन्दू समाज मे भेदभाव बड़ा रहा हैं | मुस्लिम तुष्टीकरण पहले ही चरम पर हैं | राष्ट्रवादियों की BJP नेताओं से अपेक्षा आरक्षण समाप्त करने की थी ना कि उसको बढ़ाने की | जो मराठा आरक्षण की बात कर रहे हैं वो यदि छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास किताबों में ही सही तरीके से अंकित करवाले तो इसमें मै उनकी जीत मानूँगा लेकिन हो इसके उलट रहा हैं। इतिहास की किताबो से मराठो के इतिहास को वो इन्साफ नहीं मिला जिसके वो हकदार थे आज भी छत्रपति महाराज को पहाड़ी चूहा कहकर सम्बोधित किया जाता हैं लेकिन वहा इनका खून नहीं खौलता और शिवसेना वाले मराठी अस्मिता की बात करते है। ऐसा लग रहा है मानो लस्सी बट रही हो आरक्षण के नाम पर कि देते जाओं और वोट लेते जाओं। कोई इसी तरह से मुस्लिम वोट ले रहा हैं कोई यादव वोट ले रहा हैं कोई पिछड़ी जातियों के वोट ले रहा हैं। और बीजेपी जिससे सभी को उम्मीदें हैं वह महाराष्ट्र में OBC आरक्षण के लिए धरना कर रही हैं। पालघर साधुओं की हत्या हो जाने पर ऐसा धरना नहीं दिखाई दिया क्यों वो किसी वोट बैंक की श्रेड़ी में नहीं आता। जिस पार्टी का पहला उद्देश्य हिन्दू समाज को जोड़ने के लिए होना चाहिए था वह अभी भी आरक्षण के बल पर महाराष्ट्र पर राज करना चाहती हैं।
यह केवल एक प्रदेश या एक पार्टी की बात नहीं पूरे राष्ट्र की बात हैं जहा सब एक दूसरे को नोच के खाने में लगे हुए हैं। किसी को मराठा आरक्षण लाना हैं और किसी को OBC आरक्षण लाना हैं लेकिन वह वर्ग जो ये कह रहा हैं कि आरक्षण को जड़ से समाप्त करो यह देश को दुर्गति की और ले जा रहा हैं उसकी बातो को सुनने के लिए कोई नेता मौजूद है इस धरती पर या नहीं या फिर यू कहे कि समाज ही इसके लिए तैयार नहीं हैं। अगर बिना कुछ किये कोई जाती के नाम पर आरक्षण मुफ्त में बाट रहा हैं तो उसको मना क्यों करे ? लेकिन उनको यह नहीं दिख रहा कि उनके इस फैसले से आरक्षण से वंचित समाज का किस प्रकार शोषण हो रहा हैं और उसके बाद भी वह सभी हिन्दू जातियों को राष्ट्र के लिए एकत्रित करने का प्रयास कर रहा है। सरकारों को तय करना होगा यदि राष्ट्र हित में आरक्षण को अलविदा कहना पड़े तो ये सभी के लिए उत्तम होगा। इसमें विलम्ब न करे क्यूंकि इसके दुष्परिणाम देश को डुबोने का काम कर रहे हैं।
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